सड़क पे जमी एक छोटी छाँव में जले हैं जो,
ज़मी से धूलि एक बारिश में चले हैं जो,
वो कल जो खोया है आज की कसक में,
चलो आओ जोडें उसे अपनी इक आवाज से,
करें जो दबा है कहीं हमारे सोये ज़मीर में,
वो पलक खुलती है जो दबे पेट पे हाथ रखके,
वो हाथ जो भागते हैं चाँद लम्हे जी लेने को,
जो खो गयी हैं खुशियाँ मिलने से भी कहीं पहले,
चलो आज बाँट दें उन सभी तकदीर के ख्वाबों को,
लिख दें उनके हाथो में वो कल जो सिर्फ उन्ही का हो ...................
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