Saturday, July 10, 2010

चलो आज कर लें कुछ नया सा

चलो आज कर लें कुछ नया सा,
चलो आज जी लें कुछ अपना सा,
वो जो सोचा था दिन इस सुनहरी धूप में,
चलो आज भीग जायें उस खुली छाँव में,
मेरी नींद जो टूटी थी उस सुबह के सपने से,
मै जो जागा था उस नवल प्रभात में,
चलो आज जगा लें उस सोयी सुबह को ..........................

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