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Saturday, May 30, 2009
वो जो वक्त थाम लेने की ख्वाहिश देखी थी हमने........
"तू जो रुकी सी थी उन रुके लम्हों में,
वो जो बंधा सा था मै एक थमे साए से,
गुजर गई है वो तारीख़ बदलते पन्नो की आवाज़ में,
वो जो वक्त थाम लेने की ख्वाहिश देखी थी हमने........"
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