वो आज आए और फिर चले गए,
वो आज आए और फिर चले गए, बिन बरसे,
कुछ साल पहले तक तो बिना मिले न जाते थे,
इस दफा जाने क्या है, बिन भिगाए ही चले गए ,
इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे,
इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे, बिन नाव बने,
कई साल पहले मैं उन चीटियों को नाव पे रखके तैराता था,
आज तो हालात इस कदर हैं कि नाव ही तैराने को नहीं है,
मालूम होता है मुझे ही जाना पड़ेगा कहीं आस पास,
कहीं आस पास सुना है वो आते हैं,
शायद वहीँ मुलाकात हो पाए, शायद वहीँ कुछ भीग जाऊं ................
वो आज आए और फिर चले गए, बिन बरसे,
कुछ साल पहले तक तो बिना मिले न जाते थे,
इस दफा जाने क्या है, बिन भिगाए ही चले गए ,
इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे,
इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे, बिन नाव बने,
कई साल पहले मैं उन चीटियों को नाव पे रखके तैराता था,
आज तो हालात इस कदर हैं कि नाव ही तैराने को नहीं है,
मालूम होता है मुझे ही जाना पड़ेगा कहीं आस पास,
कहीं आस पास सुना है वो आते हैं,
शायद वहीँ मुलाकात हो पाए, शायद वहीँ कुछ भीग जाऊं ................
2 comments:
Bhai Wah !!!
Aaj barish ho rahi hai..!!
"Chhoti si kahaani se, baarishon ke paani se
Saari vaadi bhar gayi"
Remember day's of Navada..
Wo barish khelti thi jo chhat ki munderon pe....
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