Thursday, February 10, 2011

कुछ खोये लम्हे

सुबह की गुनगुनी परछाई में तैरते से,
कुछ अधखुली पलकों में डूबते उतरते ख्वाबों से,
कई बार ढूंढ़ती हैं आँखें उन गुलाबी लम्हों को,
खो गए हैं जो ज़िन्दगी के ज़रिये कमाने में......

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