जब तक क्षितिज ना मिल जाये, तब तक चलना है,
ज़मीं को ना मिला दें आसमान से तब तक चलना है।
सूरज को है गुमान, है वो आसमां पे,
आसमान को ज़मीं पे ना ला दें तब तक चलना है।
कल खेलेगा सूरज संग हमारे, बैठेगा चांद आंगन अपने,
हो जाये इतने ऊँचे, ना छूटे कुछ भी ऊँचा, तब तक चलना है।
ना रुकेंगे कभी चलते चलते, ना थमेंगे कभी बढ़ते बढ़ते,
लहू में उतरेगी जब तक साँस तब तक चलना है।
चलते चलते जब रुकने लगें, बढते बढते एक रोज़ जब थमने लगें कदम,
मिल ना जाये एक जिन्दगी और चलने को तब तक चलना है.............
ज़मीं को ना मिला दें आसमान से तब तक चलना है।
सूरज को है गुमान, है वो आसमां पे,
आसमान को ज़मीं पे ना ला दें तब तक चलना है।
कल खेलेगा सूरज संग हमारे, बैठेगा चांद आंगन अपने,
हो जाये इतने ऊँचे, ना छूटे कुछ भी ऊँचा, तब तक चलना है।
ना रुकेंगे कभी चलते चलते, ना थमेंगे कभी बढ़ते बढ़ते,
लहू में उतरेगी जब तक साँस तब तक चलना है।
चलते चलते जब रुकने लगें, बढते बढते एक रोज़ जब थमने लगें कदम,
मिल ना जाये एक जिन्दगी और चलने को तब तक चलना है.............
6 comments:
Congratulation. I greatly admire and appreciate your work. Its so down to earth and close to a common man.
jay ho belha ki.........
Good Work ...
Your quotes have always beena source of inspiration...
Keep up the Good Work..
chalte raho ...chalte raho ....
chitiz ko milna hi padega ..
Truely very inspirational...
very nice sir...full of inspiration
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