Tuesday, July 31, 2012

हर खून से जो श्वास निकले, जय हिंद

हर खून से जो श्वास निकले, जय हिंद,
हर श्वास से जो, खून गाए, जय हिंद,
हर एक स्पंदित बूँद बोले, जय हिंद,
कलरव एक ताल में बिन हिंद, जो शून्य होवे,
निज शून्य भी इक राग व्यापित, जय हिंद,
यह कल्पना नित श्वास दौड़े हर हिंद,
चल खेल ले एक आस आज तू भी ए हिंद,
कि कल फिर न बोले शून्य हर एक आस भी............

Friday, July 6, 2012

फिर चले गए बिन बरसे .......

वो आज आए और फिर चले गए,
वो आज आए और फिर चले गए, बिन बरसे,

कुछ साल पहले तक तो बिना मिले न जाते थे,
इस दफा जाने क्या है, बिन भिगाए ही चले गए ,

 इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे,
 इस बार लगता है वो काग़ज़ यूँ ही रद्दी में जाएंगे, बिन नाव बने,

कई साल पहले मैं उन चीटियों को नाव पे रखके तैराता था,
आज तो हालात इस कदर हैं कि नाव ही तैराने को नहीं है,

मालूम होता है मुझे ही जाना पड़ेगा कहीं आस पास,
कहीं आस पास सुना है वो  आते  हैं,

शायद वहीँ मुलाकात  हो पाए, शायद वहीँ कुछ  भीग जाऊं ................

Thursday, January 26, 2012

अभी जिंदा है जुनून

मेरा पसीना जब भी उतरके आता है मेरी आँखों में,
लगता है मेरी साँसों में गर्माहट अभी जिंदा है।

जुबां जब भी सूख के सख्त हुई है,
लगता है मेरी रगों में प्यास अभी जिंदा है।

जब कभी भी लहू दौड़ते दौड़ते आंसुओं में ढलकता है,
लगता है मेरे लहू का लाल रंग अभी जिंदा है।

खुली सुबह जब भी खाली सड़क पे दौड़ पड़ता हूँ,
लगता है मेरे क़दमों में रवानी अभी जिंदा है।

न पंख हैं न हवा का रुख है, फिर भी उड़ जाने का दिल है,
लगता है तब मेरे दिल में उड़ने का जुनून अभी जिंदा है।

न मै अभी लौटा हूँ न मैंने अभी चाह छोड़ी है,
लगता है मेरे सपनो में मंजिल अभी जिंदा है ..............